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“मजदूर है हम “

छोटी सी बात
छोटी सी बात
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पूछो सबसे  कौन शरासन इतनी जल्दी अब तोड़ेगा,

हाथ उठा कर शक्ति से, बाण  नयन पे अब छोड़ेगा,

हम छोड़ेंगे———“मजदूर है हम “

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त्रेता में तो राम मिले थे, द्वापर में अर्जुन आये थे,

कलयुग में इस  नव्य अचल को कौन भला मोड़ेगा,

हम मोड़ेंगे ————-“मजदुर है हम”

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पुष्प – मंजरी नहीं मिलेगी, आनाकानी नहीं चलेगी,

लहू को भी तन से खिंचे, ऐसे पथ पर अब कौन चलेगा,

हम चलेंगे……………’मजदूर है हम’

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संघ – कुटी में रहना होगा, चाह दाब सब सहना होगा,

दुर्जन स्वामी  की बातों को, लेश बिना भी कौन सुनेगा,

हम सुनेगे…………..’ मजदूर है हम”

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चिर – वसन सब फटा मिलेगा, वित्त का केवल छटा मिलेगा,

आधे – आधे सब क्षिण अधर पर, वधु का पालन कौन करेगा,

हम करेंगे —————–“मजदूर है हम”

…………………………..

जागो हे मजदूर की अब, तुझमे ही शक्ति छुपी हुई,

तुझमें ही निर्माण छुपा, और तुझमें भक्ति छुपी हुई,

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छोड़ दो उन पामर को जो है तुझको अब नोंच रहे,

कर्म के असली वरदानी को जो सेवक  बस सोच रहें,

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देखो तुझको अपने असली रोद्र रूप में आना होगा,

करे नहीं जो कोई वो कर तुमको  दिखलाना होगा,

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फिर देखो ये पुन्य धरा  कैसे तुझ संग में गाएगी,

तेरे ही करनी तुझको बढ़ कर सम्मान दिलाएगी II

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